बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की लिखी इस कविता में मनुष्य को स्वर्ग को अपना प्राप्तव्य न बनाकर अपितु इस धरती को ही देवदुर्लभ बनाकर इसे अपवर्ग बनाने का सन्देश है |
प्राप्तव्य
इस धरती पर लाना है,
हमें खींच कर स्वर्ग
कहीं यदि उसका ठौर-ठिकाना है!
यदि वह स्वर्ग कल्पना ही हो
यदि वह शुद्ध जल्पना ही हो
तब भी हमें भूमि माता को
अनुपम स्वर्ग बनाना है!
जो देवोपम है उसको ही इस धरती पर लाना है!
और स्वर्ग तो भोग-लोक है
तदुपरान्त बस रोग-शोक है
हमें भूमि को योग-लोक का
नव अपवर्ग बनाना है!
जोकि देवदुर्लभ है उसको इस धरती पर लाना है!
बनना है हमको निज स्वामी
उर्ध्व वृत्ति सत्-चित्-अनुगामी
वसुधा सुधा-सिंचिता करके
हमें अमर फल खाना है
जोकि देवदुर्लभ है उसको इस धरती पर लाना है!
हैं आनंद-जात जन निश्चय
सदानंद में ही उनका लय
चिर आनंद वारि धाराएँ
हमें यहाँ बरसाना है
जो देवोपम है उसको ही इस धरती पर लाना है!
बहुत सुन्दर अनमोल रचना
ReplyDeleteAmulya kavita
ReplyDeleteIt's very nice and 1 request is that is we want saaransh
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